Ram Lalla Ki Murti Kali Kyu Hai?, जानिए धार्मिक वजह | Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha

0

मेरे प्रभु राम आए हैं इस वक्त हर जगह पर सिर्फ और सिर्फ यही भजन गुनगुनाया जा रहा है फोन की कॉलर ट्यून से लेकर आम बातचीत के दौरान भी लोगों के जुबान पर यह शब्द गूंज रहे हैं सच है कि 500 सालों के लंबे इंतजार के बाद प्रभु श्री राम अपने घर लौट रहे रामटेट से आज महल पर पहुंचे हैं रामलाल की मूर्ति को गर्भ ग्रह में रख दिया गया है 22 तारीख को प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है लेकिन इससे पहले लोगों ने रामलाल के बाल स्वरूप के अति आकर्षक मूर्ति के दर्शन किए एक दिन पहले जब रामलाल की पहली झलक मिली तो लोगों के स्टेटस और डीपी में केवल वही तस्वीर नजर आ रही थी

Ram Lalla Ki Murti Kali Kyu Hai?, जानिए धार्मिक वजह | Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha | NBT


ऐसे में बहुत लोगों के मन में एक सवाल भी आ रहा है कि आखिरकार रामलाल की मूर्ति काले पत्थर से ही क्यों बनाई गई है आज हम आपको इस पत्थर की विशेषता भी बताते हैंलेकिन इससे पहले रामलाल की मूर्ति की खासियत जान लीजिए यह मूर्ति 5 वर्षीय बाल स्वरूप में बनाई गई है जिसमें रामलाल के बाल रूप को पत्थर से बने कमल पर विराजमान दिखाया गया है मूर्ति पर विष्णु के 10 अवतार ओम स्वस्तिक शंख चक्र भी मौजूद है प्रभु श्री राम विष्णु और भगवान के अवतार थे इसलिए भगवान विष्णु से जुड़े इन कॉन को शामिल किया गया है जो प्रभु श्री राम की मूर्ति को और भी ज्यादा भाव बना रहे हैं श्री राम की प्रतिमा के सिर पर सूर्य बनाया गया है श्री राम सूर्यवंशी थे और उनका जन्म दोपहर 12:00 हुआ था जिस वक्त सूर्य की तीव्रता अपने चरम पर होती है रामलाल की मूर्ति के चारों ओर बने विग्रह में भगवान राम के 10 अवतार के दर्शन होते हैं इसमें सबसे पहले मत दूसरे में पूर्व तीसरे में वराह चौथ में नरसिंह पांचवें परवाह मांछठे पर परशुराम सातवें पर राम आठवी पर कृष्णा 90 पर बुद्ध और दसवें स्थान पर हल्की के दर्शन होते हैं इसके साथ ही एक तरफ हनुमान दूसरी ओर गरुड़ भी विराजमान है अब हम उसे कल पत्थर की विशेषता आपके यहां पर बताएंगे जिससे इस मूर्ति का निर्माण किया गया है रामलाल की यह मूर्ति काले रंग के पत्थर से बनी है इसकी ऊंचाई 51 इंच और वजन करीब 200 किलोग्राम है जी काले पत्थर से स्मृति को बनाया गया है वह शालिग्राम है जो एक पत्थर की तरह होता है

प्रभु श्री राम की मूर्ति बनाने के लिए से नेपाल की गंडक नदी से निकाल कर लाया गया था जिस वक्त इस पत्थर को गंडक नदी से निकाला जा रहा था उसे वक्त भी नदी से प्रार्थना करके पत्थर लाया गया था शालिग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है कई घरों में इनकी पूजा होती है इसके अलावा इसे तैयार करने वाले शिल्पकार अरुण योगीराज की पत्नी विजेता योगीराज ने बतायाकी रामलाल की मूर्ति बनाने के लिए इस पत्थर का उपयोग करने की एक खास वजह भी है कृष्ण शिला में ऐसे गुण है कि जब आप अभिषेक करते हैं यानी जवाब दूध प्रतिमा पर चढ़ते हैं तो आप उसका उपभोग कर सकते हैं यह आपके स्वास्थ्य पर कोई भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता इस पत्थर से दूध के गुना में कोई बदलाव नहीं होता इस कारण से इस पत्थर का चयन किया गया है क्योंकि यह किसी भी एसिड या आज या पानी से कोई रिएक्शन नहीं करता यह आगे आने वाले हजार साल से भी अधिक वक्त तक कायम रहने वाला है |


Tags

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !